मंगलुरु की फैमिली समेत 250 भारतीय फंसे विदेश में – कोई सुनने वाला नहीं!
एक यात्री विमान 250 से अधिक यात्रियों के साथ अज़रबैजान की राजधानी बाकू में फंसा हुआ है। उड़ान में देरी, अचानक यू-टर्न और सरकार की उदासीनता ने स्थिति को गंभीर बना दिया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पैदा हुए तनाव को लेकर यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

दोस्तों, आज मैं एक ऐसी घटना के बारे में बात करना चाहती हूँ जो काफी परेशान करने वाली है। सोचिए, आप फ्लाइट में बैठ चुके हैं, दो घंटे देरी से टेकऑफ़ हुआ हो और जब आप समझें कि चलो अब सब ठीक है, तभी फ्लाइट हवा में 3.5 घंटे उड़ने के बाद अचानक वापसी कर ले! और वो भी बिना किसी साफ वजह के। ऐसा ही कुछ हुआ है एक पैसेंजर फ्लाइट के साथ जो मुंबई जा रही थी और अब अज़रबैजान की राजधानी बाकू में फँसी हुई है – वो भी 250+ यात्रियों के साथ, जिनमें एक मंगलुरु की फैमिली भी शामिल है।
क्या है पूरा मामला?
ये फ्लाइट मुंबई के लिए रवाना हुई थी, लेकिन टेकऑफ़ में पहले से ही 2 घंटे की देरी हो चुकी थी। जैसे-तैसे फ्लाइट ने उड़ान भरी और करीब 3.5 घंटे तक हवा में रही। सबको लग रहा था कि अब सीधा मुंबई पहुँच जाएंगे, लेकिन तभी फ्लाइट के कैप्टन ने एक अनाउंसमेंट किया जिसने सबको हैरान कर दिया। उन्होंने बताया कि किसी इमरजेंसी कारण से फ्लाइट अब मुंबई नहीं जा सकती और उसे वापस बाकू लौटना होगा।
अब सोचिए, 250+ लोग, छोटे बच्चे, बुज़ुर्ग, महिलाएं – सब लोग पूरी तरह से अनिश्चितता में हैं। किसी को नहीं पता कि क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है, और कब तक उन्हें वापसी की उम्मीद करनी चाहिए। सबसे ज़्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि ना तो सरकार की तरफ से कोई ठोस मदद मिल रही है और ना ही एयरलाइन की तरफ से कोई क्लियर अपडेट।
एक नज़र ऑपरेशन सिंदूर पर
अब बात करते हैं उस ऑपरेशन की, जिसके बाद ये सब बवाल शुरू हुआ – ऑपरेशन सिंदूर। भारत ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाया है इस ऑपरेशन के तहत, जिससे कुछ देशों ने सराहना की है, लेकिन कुछ देश, खासकर जो पाकिस्तान के करीबी हैं, उन्होंने इसकी आलोचना की है।
ऐसा माना जा रहा है कि फ्लाइट के वापस लौटने और यात्रियों के फँसने की एक बड़ी वजह इसी ऑपरेशन के बाद पैदा हुए डिप्लोमैटिक हालात हो सकते हैं। फ्लाइट के कैप्टन ने भी अनौपचारिक रूप से कुछ बातें कहीं, जिनसे ये साफ लगा कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कुछ आलोचना की जा रही है।
हालाँकि, हम उनके शब्दों को यहां हूबहू नहीं दोहरा रहे हैं क्योंकि वो आधिकारिक बयान नहीं था, लेकिन इतना ज़रूर समझ में आया कि इस ऑपरेशन को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव की स्थिति है, और इसका असर आम यात्रियों पर पड़ रहा है।
फँसे हुए लोगों की हालत
बाकू में फँसे यात्रियों में से कई लोगों ने सोशल मीडिया के ज़रिए मदद की गुहार लगाई है। यात्रियों की फ्लाइट मुंबई नहीं पहुँच पाई और उन्हें मजबूरी में बाकू लौटना पड़ा। अब वे अपने घर नहीं जा पा रहे हैं, जिससे सभी बहुत चिंतित और परेशान हैं। उन्हें यह नहीं पता कि कब तक इंतज़ार करना पड़ेगा और उनकी वापसी कैसे होगी।
सबसे बुरी बात ये है कि भारतीय दूतावास से भी अभी तक कोई ठोस मदद नहीं पहुंची है। लोग पूरी तरह से असहाय महसूस कर रहे हैं।
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अब क्या उम्मीद की जाए?
इस पूरे मामले ने हमें ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जब आम नागरिक विदेशों में फँस जाते हैं, तो उनकी मदद के लिए कोई मजबूत सिस्टम क्यों नहीं होता? क्यों सरकारें इतनी देर में एक्शन लेती हैं? और क्यों एयरलाइंस यात्रियों की जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभातीं?
हम सब यही उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार जल्द से जल्द इस मामले में दखल दे और इन 250+ लोगों को सुरक्षित भारत वापस लाया जाए। और साथ ही ये भी ज़रूरी है कि एयरलाइंस को ऐसे हालात में ट्रांसपेरेंट और ज़िम्मेदार बनाने के लिए कुछ कड़े नियम बनाए जाएं।
आखिर में…
ये घटना सिर्फ एक फ्लाइट की नहीं है, ये उन तमाम लोगों की कहानी है जो अपनी मेहनत की कमाई से टिकट बुक करके अपने देश लौट रहे थे। अब वो लोग एक अनजाने देश में, अनजान हालात में फँसे हुए हैं – बिना मदद, बिना उम्मीद।
हम सबको उनके लिए आवाज़ उठानी चाहिए ताकि सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचना पड़े। क्योंकि अगली बार ये हम भी हो सकते हैं।
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